शनिवार, 28 जुलाई 2012

वो चाँद


लम्हा लम्हा गुजरता रहा , चाँद भी मंद मंद चलता रहा
छटते रहे गमो के बादल   आँखों मैं सेलाब उमड़ता रहा
चाँद  भी आज अपनी फलक  पे  था
हम धरती पे थे मेरा मन आसमान पे था
कुछ यादगार लम्हों के करीब पंहुचा ही था  की ?
चिडियों की चहचहाने की आवाज़ आने लगी
कुछ अधुरा २ सा लगता है , कुछ मन गमसुम सा
चोराहे पे खुशिया है  खिड़किया बंद पड़ी है
आज चाँद नज़र आया नहीं मैं यु ही जलता रहा

बुधवार, 25 जुलाई 2012

रात भर...


करके वादा कोई सो गया चैन से 
करवटें बदलते रहे हम रात भर !!१!!
हसरतें दिल में घुट-घुट के मरती रही 
और जनाज़े निकलते रहे रात भर !!२!!
रात भर चांदनी से लिपटे रहे वो 
हम अपने हाथ मलते रहे रात भर !!३!!
आबरू क्या बचाते वह गुलशन कि 
खुद कलियाँ मसलते रहे रात भर !!४!!
हमको पीने को एक कतरा भी न मिला 
और दौर पर दौर चलते रहे रात भर !!५!!
रौशनी हमें दे ना पाए यह चिराग अब 
यूँ तो कहने को वो जलते रहे रात भर !!६!!
छत में लेट टटोले हमने आसमान 
अश्क इन आँखों से ढलते रहे रात भर !!७!!
.........नीलकमल वैष्णव "अनिश".........

सोमवार, 23 जुलाई 2012

मेरे मन का दर्द


आजकल तो वक़त बदला बदला नज़र आता है |
इन  सालो में हवा का रुख भी मुड़ा मुड़ा नज़र आता है||
 दादा जी मेरे कहा करते थे पुराणी कहानिया
वो अपने  ज़माने  की बहुत सी निशानिया
की आज फिर वो नए नए कपडे पहने नज़र आता है |
आजकल तो वक़त बदला बदला नज़र आता है ||
खोखले लोग, सोच खोखली , खोखली बातें सारी।
दस्तूर दौर यही होगा रोएगी खोखल दुनिया सारी।
वो पुराणी बैठक  भी  भी तनहा तनहा जी लगती है || आजकल तो .......
 अब तो मेरे ज़माने का दस्तूर भी बदल गया  है
दवाईया, और दवाईया अस्पताल में सज  गया है  
मेरे   गावं  उन महोलो में दारू बेची जाती  है
मेरी बहनों को दहेज़ के लिए मरी पिटी जाती है
 कहा मैने भी ये नई नहीं वो आपकी रित पुराणी है
 सच कहू तो हमारी नहीं दादा जी ये आपकी निसानी है
आज फिर देखूं  तो इन्सान में  पैसा ही नज़र  आता है ||  आजकल तो,,,
 कल मैने  चलते चलते पूछ ली थी खबर  क्या है
खबर तो मुझे मिली पर  बदनामी की बू क्या है
घर आने मै देर क्या हुई   बहिन की नज़र भी क्या है
वो भी पूछ  बेठी गली की लड़की थो वो कोन ?
मां ने दादा जी ने भी कहा क्यूँ है तू मोन ?
मैं क्या बताऊ  वो थी कोन ?
सच कहू तो ये मेरी नहीं उनकी निगहबानी नज़र आती है ......
आजकल तो वक़त बदला बदला नज़र आता है |
इन  सालो में हवा का रुख भी मुड़ा मुड़ा नज़र आता है||



 

सोमवार, 16 जुलाई 2012

मानसून


मोसम बड़ा बेईमान है ये भी आजकल नेताओ की दुकान है
आम आदमी की कही टूटी कही फूटी एक दुकान है ....आज मोसम
मानसून आया है ये सरकार की शान है
एक दिन से दस दिन का ही तो ये मेहमान है
बंगाल में आया बम्बई में आया असाम में आया
ये सुन सुन के तो मेरे मन का आज बेहाल है ......आज मोसम
कहानिया बनती बिगडती रही मानसून ठहर गया
आजकल तो मानसों भी अखबारों की शान है ......आज मोसम
अखबारों में दिन बदले तारीख बदली मेने अख़बार बदल लिया
मानसून ने तो आज जगह बदली उप से दिल्ली बदली
आज फिर असे ही असमान भी झरना बन गया
फिर क्यूँ सीला जी का पानी की कटोती का ये फरमान है
आज मोसम बड़ा बेईमान है
मन मेरा कही टुटा कही फूटा एक दुकान है ....आज मोसम
मानसून आया है ये सरकार की शान है
मोसम बड़ा बेईमान है ये भी आजकल नेताओ की दुकान है
आम आदमी की कही टूटी कही फूटी एक दुकान है ....आज मोसम
दिनेश पारीक