रविवार, 14 अगस्त 2011

कई अरसो तक लड़ते रहे हम

कई अरसो तक लड़ते रहे हम
आज़ादी को पाने के लिए…;
और कई अरसे गुज़र चुके
यूंही आज़ादी को पाए हुए…!शहीदों ने तो कर दिया अपना कर्म
अंग्रेजों से हमें आज़ादी दिला कर…;
और आज कल के नेताओं ने
कर दिया फिर से देश को शर्मशार
आतंकवाद को पनाह दे कर…!सिपाही तो अपना काम करते है
सरहद पे शहीद हो कर…;
और नेता…
नेता ‘अपना’ काम करते है
शान से बेशर्म हो कर…!पुलिसवाले आम आदमी को दिखाते है दम
अपनी वर्दी की नोंक पर…;
अरे, अगर दम है तो दिखाते क्यों नहीं
नेता बन कर सरे-आम घूम रहे
गुंडों को पकड़ कर…!
इंसानियत इस कदर मर जाएंगी
कभी सोचा न था…;
अब तो शर्म से सर झुक जाते है
शहीदों की तसवीर देख कर…!हे नेता…
क्यों करते हो तुम ऐसा…?
क्या नहीं है तुम्हारे पास…?
खुद बैठे हो पैसा, पावर,
सलामती और सुरक्षा के ढेर पर…;
और हमें…
हमें क्यों बिठाया है इन आतंकवादियों की
गोली और बारूद के ढेर पर…?अब भी वक़्त है हमारे नेता,
अब बंध करो अपनी इज्जत का फजेता…;
अगर मर्दानगी साबित ही करनी है,
तो फिर बनो एक और ‘आज़ादी’ के प्रणेता…!वरना वो वक़्त अब दूर नहीं है,
जब ‘जवाब’ देना पड़ेंगा हमें
“डंके की चोट पर…!
”जय हिंद…!
वन्देमातरम…!