शनिवार, 22 मई 2010

ऐसा दोस्त चाहिए जो हमे अपना मान सके,
जो हमारा दिल जान सके,
चल रहे हो हम तेज़ बारिश मे,
फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सके
ख़ुश्बू की तरह मेरी सांसो मे रहे……
लहू बनके मेरी नसनस मे बहे,
दोस्ती होती है रिश्तों का अनमोल गहना
इसलिय इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहना
याद आए कभी तो आँखें बंद करना
हम ना भी मिलें तो गम मत करना!!!!
ज़रूरी तो नही के हम नेट पर हर रोज़ मिलें
मगर ये दोस्ती का एहसास कभी कम मत करना
दोस्ती उस से करो जो निभाना जानता हो
नफ़रत उस से करो जो भूलना जानता हो
ग़ुस्सा उस से करो जो मनाना जानता हो
प्यार उससे करो जो दिल लुटाना जानता हो
बहते अश्को की ज़ुबान नही होती,
लफ़्ज़ों मे मोहब्बत बयां नही होती,
मिले जो प्यार तो कदर करना,
किस्मत हर किसी पर मेहरबां नही होती.
ज़िंदगी गमो का पुलिंदा है,
ख़ुशियाँ आज कल चुनिंदा
विंडो खुली है और हवा आती नहीं है
कम्प्यूटर की दुनिया मुझे भाती नहीं है

ये ओ-के, ये कैंसल, ये कैसे हैं डायलाग
कहने की छूट जिसमें मुझे दी जाती नहीं है

जला के बचाने की ये उलट-विद्या है कैसी
पी-सी में बर्नर की बात समझ आती नहीं है

ये इंटर, ये इस्केप, ये कीज़ हैं जितनी
कभी भी कोई ताला खोल पाती नहीं हैं

माउस जहाँ है वहाँ निस्संदेह गंदगी भी होगी
लाख लगा लूँ फ़िल्टर, गंदी मेल जाती नहीं है

उनको मिले कम्प्यूटर जिन्हें हैं कम्प्यूटर की तलाश
मुझको तो इसकी संगत रास आती नहीं है